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जायद में मूंग की खेती: कम समय में अधिक मुनाफा

 जायद में मूंग की खेती: कम समय में अधिक मुनाफा

जायद का मौसम, जो गर्मी और खरीफ फसल के बीच का समय होता है, मूंग की खेती के लिए बहुत ही उपयुक्त माना जाता है। मूंग एक कम समय में तैयार होने वाली फसल है, जो किसानों को अतिरिक्त आय का अवसर प्रदान करती है। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम जायद में मूंग की खेती के बारे में विस्तार से जानेंगे।


जायद में मूंग की खेती के फायदे

  • कम समय में तैयार: मूंग की फसल लगभग 60-70 दिनों में तैयार हो जाती है, जिससे किसान कम समय में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं।
  • मिट्टी की उर्वरता में सुधार: मूंग एक दलहनी फसल है, जो मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा को बढ़ाती है, जिससे मिट्टी की उर्वरता में सुधार होता है।
  • कम लागत: मूंग की खेती में कम लागत आती है, जिससे किसानों को अधिक लाभ होता है।
  • अच्छी बाजार मांग: मूंग की दाल और अन्य उत्पादों की बाजार में अच्छी मांग रहती है, जिससे किसानों को अपनी फसल बेचने में आसानी होती है।

जायद में मूंग की खेती के लिए आवश्यक बातें

  • जलवायु: मूंग की खेती के लिए गर्म और शुष्क जलवायु सबसे अच्छी होती है।
  • मिट्टी: मूंग की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है।
  • बीज: मूंग की उन्नत किस्मों का चयन करें, जो कम समय में तैयार होती हैं और अधिक उपज देती हैं। ( मूंग की उन्नत किस्मों : के 851, पूसा वैशाली, आरएमजी 268, आरएमजी 62, एसएमएल 668, एमयूएस 2 आदि | )
  • बुवाई का समय: जायद में मूंग की बुवाई का सबसे अच्छा समय फरवरी के अंत से मध्य मार्च तक का समय सबसे उपयुक्त होता है 
  • बीज उपचार : बुवाई से पहले बीजों को 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम या 3 ग्राम थाइरम या केप्टान दवा से उपचारित करें |  
  • सिंचाई: मूंग की फसल को नियमित सिंचाई की आवश्यकता होती है, खासकर फूल आने और फलियाँ बनने के समय। 
    • प्रथम सिंचाई : पहली सिंचाई 10 -15 दिनों में करे | 
    • दूसरी सिंचाई : फूल आने की अवस्था में 
    • तीसरी सिंचाई : फलियों के बनने पर सिंचाई करे | 
  • खरपतवार नियंत्रण: मूंग की फसल को खरपतवारों से बचाना बहुत जरूरी है, खरपतवारों से बचाने के लिए, पेंडीमेथालिन 0.75 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करे | 
  • कीट और रोग नियंत्रण: मूंग की फसल को कीटों और रोगों से बचाने के लिए उचित उपाय करें।
    • कीट नियंत्रण

      • सफेद मक्खी:
        • यह कीट पीला मोज़ेक वायरस फैलाता है।
        • नियंत्रण के लिए, नीम तेल (2 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर) का छिड़काव करें।
        • खेत में पीले चिपचिपे जाल लगाएं।
      • फली छेदक:
        • यह कीट फलियों को नुकसान पहुंचाता है।
        • नियंत्रण के लिए, कीट प्रतिरोधी किस्मों का उपयोग करें।
        • रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग आवश्यकतानुसार करें।
      • अन्य कीट:
        • एफिड्स और अन्य कीटों के नियंत्रण के लिए, नीम आधारित कीटनाशकों का उपयोग करें।

      रोग नियंत्रण

      • पीला मोज़ेक वायरस (Yellow Mosaic Virus):
        • यह रोग सफेद मक्खी द्वारा फैलता है।
        • रोग प्रतिरोधी किस्मों का उपयोग करें।
        • संक्रमित पौधों को हटा दें।
      • पत्ती धब्बा रोग:
        • यह रोग पत्तियों पर धब्बे बनाता है।
        • नियंत्रण के लिए, फफूंदनाशकों का उपयोग करें।
      • जड़ सड़न:
        • यह रोग मिट्टी में नमी के कारण होता है।
        • नियंत्रण के लिए, उचित जल निकासी सुनिश्चित करें।
        • बीज उपचार करें।

जायद में मूंग की खेती की प्रक्रिया

  1. खेत की तैयारी: खेत को अच्छी तरह से जोतकर समतल करें।
  2. बीज की बुवाई: बीज को पंक्तियों में बोएं और उचित दूरी बनाए रखें।
  3. सिंचाई: नियमित रूप से सिंचाई करें, खासकर फूल आने और फलियाँ बनने के समय।
  4. खरपतवार नियंत्रण: समय-समय पर खरपतवारों को निकालते रहें।
  5. कीट और रोग नियंत्रण: कीटों और रोगों से बचाव के लिए उचित उपाय करें।
  6. कटाई: जब फलियाँ पक जाएं, तो फसल की कटाई करें।

उपयोगी सुझाव:

  • मूंग की उन्नत किस्मों का उपयोग करें।
  • सही समय पर बुवाई करें।
  • नियमित रूप से सिंचाई करें।
  • खरपतवार नियंत्रण का विशेष ध्यान रखे।
  • कीटों और रोगों से बचाव के लिए उचित उपाय करें।

निष्कर्ष

जायद में मूंग की खेती किसानों के लिए एक लाभदायक व्यवसाय है। सही जानकारी और उचित प्रबंधन से किसान मूंग की खेती से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

मुझे उम्मीद है कि यह ब्लॉग पोस्ट आपके लिए उपयोगी होगी।